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शुक्रवार, दिसंबर 24, 2010

भारत का दुर्भाग्य

भ्रष्टाचार भारत का पर्याय बनता जा रहा है . वर्तमान में 2 जी घोटाला सुर्ख़ियों में है | राष्ट्र्मंडल खेलों की बात अभी बहुत पुरानी नहीं हुई है | आखिर ऐसा क्यों होता है ? समय-समय पर नए-नए घोटाले उभर कर सामने आते हैं | देश का पूरा मीडिया कुछ दिन तक नए उभरे घोटाले के पीछे उलझा रहता है, फिर कुछ दिन के बाद हालात ऐसे हो जाते हैं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं | इस देश में हर्षद मेहता का क्या हुआ ? चारा घोटाले, बोफोर्स घोटाले का क्या हुआ ? कुछ भी नहीं | यही वो कारण है जिसके कारण बार-बार घोटाले होते हैं | देश का प्रत्येक आदमी अपने सामर्थ्य के अनुसार घोटाले करने में जुटा हुआ है | न्याय प्रक्रिया का अत्यंत धीमा होना आग में घी डालता है | नैतिकता का अभाव, देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी  को  न समझना कुछ अन्य कारण हैं |
                         इसका तत्कालीन समाधान तो विशेष अदालतों का गठन ही दिखता है | दोषियों को यथाशीघ्र और सख्त-से-सख्त सज़ा घोटालों की संख्या को कम कर सकती है, लेकिन इस उपाय को अपनाने में पता नहीं कितना समय लगेगा ? जब तक घोटाले रोकने का कोई उपाय नहीं अपनाया जाता तब तक देश की सम्पत्ति यूं ही धूर्तों के हाथ लगती रहेगी और आम जनता दुखी व त्रस्त रहेगी | दुर्भाग्य से यही भारत का भाग्य बनता जा रहा है |      
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